बंधनों से मुक्ति चाहतें हो तो कर्म प्रधान बनों : नवजीत भारद्वाज

जालंधर 20 अप्रैल (ब्यूरो) : मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नज़दीक लमांपिंड चौंक जालंधर में सामुहिक निशुल्क दिव्य हवन यज्ञ का आयोजन मदिंर परिसर में किया गया।
सर्व प्रथम ब्राह्मणो द्वारा मुख्य यजमान से विधिवत वैदिक रिती अनुसार पंचोपचार पूजन, षोडशोपचार पूजन ,नवग्रह पूजन उपरांत सपरिवार हवन-यज्ञ में आहुतियां डलवाई गई।

सिद्ध मां बगलामुखी धाम के प्रेरक प्रवक्ता नवजीत भारद्वाज जी ने दिव्य हवन यज्ञ पर उपस्थित प्रभु भक्तों को कर्मों के बारे में प्रवचन करते हुए कहा कि हिंदू धर्म में माना गया है कि हमें हमारे कर्मों के अनुसार ही शुभ या अशुभ फल प्राप्त होता है। मनुष्य जैसा कर्म करता है वैसा ही फल भोगना पड़ता है। इन फलों का निर्धारण समय खुद करता है। इसलिए व्यक्ति को सोच-समझकर ही अपने कर्म करने चाहिए।

नवजीत भारद्वाज जी ने कहा कि कर्म नियमों के अनुसार, कर्म का योग ही ईश्वर है। व्यक्ति को ईश्वर से नहीं बल्कि अपने बुरे कर्मों से डरना चाहिए। क्योंकि ईश्वर आपको माफ कर सकते हैं। लेकिन आपके बुरे कर्म आपको कभी माफ नहीं करते। हम अच्छे कर्मो के सहारे स्वर्ग में जा सकते हैं वहीं बुरे के द्वारा व्यक्ति को नरक की यातनाएं झेलनी पड़ती हैं।

नवजीत भारद्वाज जी ने कहा कि जिस व्यक्ति की सोच जैसी होती है। उसके कर्म वैसे ही होते हैं। कर्म नियमों के अनुसार, व्यक्ति को हमेशा कर्म करते रहना चाहिए। ऐसा करने से जिंदगी आपको खूबसूरत मौके देती रहेगी। जो नियमों में बंधकर जीवन यापन करता है वह लक्ष्य की प्राप्ति भी करता है। कर्म को यदि हम पूजा बना लें तो बंधनों से मुक्ति भी संभव है।
कर्म वो आईना है जो हमें हमारा असली चेहरा दिखा देता है। क्योंकि कोई भी व्यक्ति अपनी खूबसूरती से नहीं बल्कि अपने कर्मों से बड़ा होता है। व्यक्ति को हमेशा ऐसे कर्म करने चाहिए, जिससे वह किसी के काम आ सकें।
हवन यज्ञ के उपरांत मां की आरती एवं लंगर भंडारे का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर श्वेता भारद्वाज,सरोज बाला,राकेश प्रभाकर, पूनम प्रभाकर, , सुभाष डोगरा, उदय ,अजीत कुमार , नरेंद्र ,रोहित भाटिया,राकेश शर्मा,नवीन , प्रदीप, सुधीर, सुमीत,डॉ गुप्ता,संजीव शर्मा,मुकेश, ईंदू, अमनदीप शर्मा, गुरप्रीत सिंह,दीलीप, लवली, लक्की,जगदीश, नवीन कुमार, निर्मल,अनिल,सागर, दीपक कुमार, नरेंद्र, सौरभ,दीपक कुमार, नरेश,दिक्षित, अनिल, भारी संख्या में भक्तजन मौजूद थे।

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