न्यूज नेटवर्क (ब्यूरो) : सूफ़ी इस्लामिक बोर्ड (Sufi Islamic Board – SIB) ने केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री श्री किरेन रिजिजू को पत्र लिखकर माँग की है कि सूफ़ी दरगाहों और धार्मिक स्थलों के प्रबंधन से उन व्यक्तियों को दूर रखा जाए जो दरगाहों, औलिया-ए-किराम की शिक्षाओं, सूफ़ी संगीत और धार्मिक आयोजनों में आस्था नहीं रखते और उन्हें नकारते हैं।
बोर्ड ने स्पष्ट किया कि वहाबी विचारधारा न केवल सूफ़ी परंपरा का अपमान करती है, बल्कि दरगाह संस्कृति, सूफ़ी रस्मों और धार्मिक आयोजनों को ‘गुनाह’ बताकर इनके विरुद्ध प्रचार भी करती है। इस पत्र में SIB ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमाअत-ए-इस्लामी और जमीअत उलेमा-ए-हिंद जैसे संगठनों पर दरगाह ट्रस्टों में अनधिकृत हस्तक्षेप करने का भी आरोप लगाया है।
SIB ने वक्फ क़ानून 2025 में संशोधन की माँग करते हुए एक स्वतंत्र ‘सूफ़ी बोर्ड’ के गठन का प्रस्ताव रखा है, ताकि सूफ़ी परंपरा से जुड़े व्यक्तियों को ही इन पवित्र स्थलों के संचालन और रखरखाव की ज़िम्मेदारी दी जा सके।
डॉ. सूफ़ी राज जैन, अध्यक्ष – सर्वधर्म ख्वाजा मंदिर (होशियारपुर) तथा उपाध्यक्ष – सूफ़ी इस्लामिक बोर्ड (उत्तर भारत) ने कहा कि पंजाब सहित देश के कई हिस्सों में वक्फ बोर्ड की मिलीभगत से वहाबी मानसिकता वाले लोगों ने सूफ़ी दरगाहों पर कब्ज़ा कर रखा है। यह स्थिति न केवल सूफ़ी परंपरा के लिए खतरनाक है, बल्कि करोड़ों सूफ़ी आस्थावानों की धार्मिक भावनाओं को भी आहत करने वाली है।
डॉ. जैन ने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन किसी के विरोध में नहीं है, बल्कि सूफ़ी मूल्यों की रक्षा, दरगाहों की पवित्रता को बनाए रखने और भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब को बचाने के लिए है।
