जी नेटवर्क (ब्यूरो) : डॉ. सूफी राज जैन, सर्व धर्म ख्वाजा मंदिर के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सूफी इस्लामिक बोर्ड पंजाब के अध्यक्ष, ने अजमेर प्रकरण में एक याचिका दायर की है। इस याचिका में उन्होंने हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह परिसर के भीतर स्थित ‘संकट मोचन महादेव मंदिर’ की उपस्थिति के दावे पर चल रहे मुकदमे में उन्हें एक “आवश्यक पक्षकार” के रूप में शामिल करने का अनुरोध किया है। इस मामले की अगली सुनवाई 24 जनवरी 2025 को निर्धारित है।
यह याचिका सर्व धर्म ख्वाजा मंदिर के अध्यक्ष डॉ. सूफी राज जैन की ओर से दायर की गई है। यह संस्था संत की शिक्षाओं को बढ़ावा देने और उनके सिद्धांतों को संरक्षित करने के लिए समर्पित है। डॉ. सूफी राज जैन का कहना है कि वह संत के करोड़ों भक्तों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
यह मामला चर्चा में तब आया जब सुप्रीम कोर्ट ने 12 दिसंबर को सर्वेक्षणों पर रोक लगाने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि 1991 के पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम की वैधता तय होने तक किसी भी धार्मिक स्थल के अस्तित्व को चुनौती देने वाले मुकदमों और नए मुकदमों पर रोक जारी रहेगी। यह अधिनियम सुनिश्चित करता है कि 15 अगस्त 1947 को पूजा स्थलों की जो स्थिति थी, वह यथावत बनी रहे। इसके तहत, निचली अदालतें किसी प्रकार का प्रभावी आदेश या सर्वेक्षण पास नहीं कर सकतीं।
डॉ. सूफी राज जैन ने कहा कि सूफी समुदाय भी संत के अनुयायी हैं और इसलिए उन्हें इस मामले में पक्षकार बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “खादिम, जो इस मामले के उत्तरदाताओं में से एक हैं, दरगाह में उपस्थित हैं, लेकिन भक्त दूर-दूर से हजारों किलोमीटर की यात्रा कर दरगाह में अपनी श्रद्धा अर्पित करने आते हैं। हमारी बात भी सुनी जानी चाहिए।”