(बृजेश शर्मा) : पाकिस्तान में स्थित गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब की पवित्र धरती पर बिछड़े दिलो के रिश्ते एक बार फिर से मिले है।
ऐसा ही एक परिवार को दो लोग रिश्ते में चाचा भतीजा है वह 1947 में जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था तब बिछड़ गए थे जिसके बाद आज करीब 75 साल के बाद दोबारा उनका पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब में मेल हुआ है।
जब चाचा सरवन सिंह जो कि जालंधर के रहने वाले है अपने भतीजे अब्दुल खालिक (पुराना नाम मोहन सिंह ) आपस मे मिलने के दौरान भावुक हो गए। इस मौके पर चाचा सरवन सिंह की बेटी रछपाल कौर भी उनके साथ पाकिस्तान गई। भारत-पाक सीमा पर स्थित डेरा बाबा नानक की धरती पर सरवन सिंह ने बताया कि 1947 में हुए बंटवारे के दौरान उनके परिवार के 22 लोगो का कत्ल कर दिया गया था। उस समय उनका भतीजा मोहन सिंह भागने में कामयाब हो गया था। जिसके बाद आज मिले है।
कैसे हुआ चाचा भतीजे का मिलन
सरवन सिंह ने बताया कि सुखपाल सिंह बरनाला ने विभाजन की त्रासदी पर डॉक्युमेंट्री बनाई थी। डॉक्यूमेंटी में विभाजन का दंश झेल रहे सरवन सिंह के परिवार व अन्यो के बारे में बताया गया है। इस डॉक्यूमेंटी को जब ऑस्ट्रेलिया में बैठे गुरदेव सिंह ने देखा तो सरवन सिंह को उनके भतीजे से मिलवाने की कोशिश की।डॉक्यूमेंटी में 6 साल के बच्चे के दो अंगूठे व एक जांघ पर काले धब्बा दिखाया गया था। पाकिस्तान के पत्रकार से सम्पर्क करके मोहन सिंह के निशान बताकर ढूंढने की गुहार लगाई। तो ऐसे ही व्यक्ति अब्दुल खालिक के बारे में बताया गया। ऑस्ट्रेलिया में रह रहे गुरदेव सिंह ने अब्दुल खालिक का फोन नम्बर अरेंज करवाकर दोनों की बात करवाई।गुरदेव सिंह की मदद से ही सोमवार को चाचा भतीजा मिल पाए।भतीजे अब्दुल खालिक मोहन सिंह ने अपने चाचा को बताया कि उनका परिवार भी है।मोहन सिंह के 6 बच्चे है।