न्यूज नेटवर्क 15 सितंबर (ब्यूरो) : ईश्वर एक है और इसके संकेत हमें मिलते हैं, जैसे आज गणपति विसर्जन और ईद-ए-मिलाद-उन-नबी एक साथ हैं। आपको दोनों पर्वों की मुबारकबाद!
सर्वधर्म ख्वाजा मंदिर के संस्थापक और अध्यक्ष, डॉ. सूफ़ी राज जैन जी और दिया जी ने धूमधाम से गणपति विसर्जन किया। इस अवसर पर डॉ. जैन जी ने अपने उपदेश में कहा कि गणपति विसर्जन त्याग, समर्पण और नई शुरुआत का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि भगवान गणेश हमें जीवन में सकारात्मकता और एकता का संदेश देते हैं, और विसर्जन यह सिखाता है कि सभी भौतिक वस्तुएं अस्थायी होती हैं।
**गणपति विसर्जन का महत्व**
गणपति उत्सव भारतीय संस्कृति और धार्मिक आस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह उत्सव भगवान गणेश की पूजा से आरंभ होता है, जिन्हें विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता के रूप में पूजा जाता है। गणपति स्थापना के बाद भक्तजन 10 दिनों तक उनकी आराधना और उत्सव मनाते हैं। अंततः, अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन किया जाता है।
विसर्जन की प्रक्रिया सिर्फ एक धार्मिक क्रिया नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक गहरा आध्यात्मिक संदेश भी छिपा है। यह हमें यह सिखाता है कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है। सभी भौतिक वस्तुएं, चाहे वे कितनी भी प्रिय क्यों न हों, अस्थायी हैं। विसर्जन हमें त्याग, समर्पण और पुनः सृजन की भावना को आत्मसात करने का पाठ पढ़ाता है।
गणपति विसर्जन पर्यावरणीय जागरूकता का भी प्रतीक है। आजकल, कई स्थानों पर पर्यावरण-संवेदनशील तरीकों से गणपति मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है। इस प्रक्रिया में यह सुनिश्चित किया जाता है कि जल स्रोतों को प्रदूषित न किया जाए और पर्यावरण का संरक्षण हो।
विसर्जन का एक और महत्वपूर्ण संदेश है समरसता और एकता। गणपति उत्सव में लोग बिना भेदभाव के एक साथ आते हैं और समाज में मेलजोल और आपसी भाईचारे को बढ़ावा देते हैं।
इस प्रकार, गणपति विसर्जन न केवल एक धार्मिक कर्तव्य है, बल्कि यह जीवन के महत्वपूर्ण सिद्धांतों और मूल्यों को सिखाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व भी है।