बच्चों को मोबाइल फोन देने वाले हो जाए सतर्क,कहीं आपके साथ भी न हो जाए ऐसी घटना, देखें वीडियो

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बच्चों को मोबाइल फोन देने वाले हो जाए सतर्क,कहीं आपके साथ भी न हो जाए ऐसी घटना

न्यूज़ नेटवर्क, (ब्यूरो) : आज के दौर में मोबाइल फोन लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। बड़े ही नहीं, बल्कि अब छोटे-छोटे बच्चे भी मोबाइल चलाने के आदी हो चुके हैं। माता-पिता अकसर अपनी सुविधा और शांति के लिए बच्चों को फोन थमा देते हैं ताकि वे कुछ देर तक व्यस्त रहें, पर कभी-कभी यही लापरवाही एक बड़े हादसे का रूप ले लेती है। ऐसा ही एक दर्दनाक मामला सामने आया है। जालंधर के गोराया के गांव संग ढेसियां से, जहां 10 साल के एक बच्चे के हाथ में मोबाइल फोन अचानक फट गया।

 

परिवार के सदस्य छोटू यादव ने बताया कि उनका 10 साल का बेटा बाथरूम में मोबाइल फोन चला रहा था। अचानक उस दौरान मोबाइल में धमाका हो गया और बच्चा जोर-जोर से चिल्लाने लगा। जब घरवाले दौड़कर बाथरूम में पहुंचे तो उन्होंने देखा कि मोबाइल पूरी तरह जल चुका था और बच्चे का हाथ बुरी तरह झुलस गया था। तुरंत परिवार ने बच्चे को नजदीकी अस्पताल पहुंचाया, जहां उसका इलाज जारी है।

 

बच्चे के पिता ने बताया कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि मोबाइल से ऐसा भी हादसा हो सकता है। उन्होंने कहा कि “यह घटना हर माता-पिता के लिए एक चेतावनी है। बच्चों को मोबाइल फोन देना उनकी सुविधा नहीं, बल्कि उनकी सुरक्षा के साथ खिलवाड़ भी हो सकता है।” उन्होंने आगे कहा कि आजकल के बच्चे ऑनलाइन गेम, वीडियो और सोशल मीडिया की लत में खो जाते हैं, जिससे न केवल मानसिक और शारीरिक प्रभाव पड़ता है, बल्कि इस तरह के हादसे भी हो सकते हैं।

 

गांव के लोगों का कहना है कि यह हादसा पूरी तरह से चौंकाने वाला था। मोबाइल फोन का इतना ज्यादा गर्म होना और फटना बहुत डरावना अनुभव रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि कई बार चार्जिंग के दौरान मोबाइल चलाना या लंबे समय तक गेम खेलना फोन की बैटरी को अधिक गर्म कर देता है, जिससे इस तरह के ब्लास्ट हो सकते हैं।

 

डॉक्टरों ने भी सलाह दी है कि बच्चों को मोबाइल से दूर रखा जाए, क्योंकि यह न केवल आंखों और दिमाग पर असर डालता है बल्कि उनकी नींद और व्यवहार पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को बाहरी खेलकूद, रचनात्मक गतिविधियों और अध्ययन की ओर प्रेरित करें, ताकि उनका शारीरिक और मानसिक विकास सही दिशा में हो सके।

 

यह घटना समाज के लिए एक सबक बनकर सामने आई है कि तकनीक का उपयोग सीमित और समझदारी से किया जाना चाहिए। बच्चों के हाथ में मोबाइल सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि खतरे की घंटी भी बन सकता है। इसलिए हर माता-पिता को यह सोचना होगा कि वे अपने बच्चों की सुविधा के लिए नहीं, बल्कि उनकी सुरक्षा के लिए फैसले लें।

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