जी नेटवर्क 3 दिसंबर (ब्यूरो) : सर्व धर्म ख्वाजा मंदिर द्वारा तीन दिवसीय सर्व धर्म समभाव समारोह का आयोजन किया गया, जो डॉ. सूफी राज जैन गुरु जी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में विभिन्न धर्मों के प्रमुख धर्मगुरुओं और सूफी गायकों ने हिस्सा लिया।
इस अवसर पर वृंदावन से आचार्य अनिरुद्ध शिवानंद जी, जैन मुनि श्री विवेक मुनि जी (महाराज, संस्थापक – आचार्य सुशील मुनि मिशन), नागपुर के बाबा ताज से काशिफुद्दीन, सूफी इस्लामिक बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंसूर खान साहब, और दरबार-ए-गरीब नवाज़ के गद्दी नशीन हाजी सैयद गफ्फार हुसैन फरीदी जी विशेष रूप से उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का मुख्य आधार सर्व धर्म समभाव था। इसकी शुरुआत सर्व धर्म संकीर्तन से हुई, जिसमें सूफी सिस्टर्स और भोपाल के सैयद मुकर्रम अली वारसी ने अपनी प्रस्तुतियों से समां बांध दिया। इसके अतिरिक्त, शब्द गायन, कव्वाली, और हरि नाम संकीर्तन जैसे आयोजनों के माध्यम से सर्व धर्म समभाव का संदेश दिया गया।
आचार्य अनिरुद्ध शिवानंद जी ने श्रीमद्भागवत गीता के माध्यम से सर्व धर्म समभाव की व्याख्या की। वहीं, हाजी सैयद गफ्फार हुसैन फरीदी जी ने अजमेर शरीफ दरबार की ओर से भारतीयता, स्वधर्म, मानवता, और जनकल्याण पर अपने विचार साझा किए।
डॉ. सूफी राज जैन ने अपने संबोधन में कहा,
“सर्व धर्म समभाव का संदेश यह है कि सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान और आदर किया जाए। यह विचारधारा हमें सिखाती है कि हम किसी भी धर्म, जाति या समुदाय से जुड़े हों, सबसे पहले हम मानव और भारतीय हैं। हमें इन दोनों कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभाना चाहिए। यदि हम इन्हें अपने जीवन में अपनाएंगे, तभी अपने धर्म का सही अर्थों में पालन कर पाएंगे।”
उन्होंने आगे कहा,
“हमें इंसानियत की राह पर चलना चाहिए, ताकि समाज में सद्भाव और भाईचारे का वातावरण बने। यह एकता और भाईचारे का प्रतीक है, जो धार्मिक कट्टरता और भेदभाव को समाप्त करने का मार्ग दिखाता है।”
इस कार्यक्रम में भारत के साथ-साथ विदेशों से भी प्रतिभागी शामिल हुए। मिर्ज़ा इनायत अली (मैसूर), अली अब्बास नक़वी (दिल्ली), मंजीत सिंह (कनाडा), शारिक नक़वी (गाजियाबाद), जीनम शर्मा (ऑस्ट्रेलिया), और अभिषेक शर्मा (न्यूज़ीलैंड) ने समारोह में भाग लिया।
विदेश से आए प्रतिनिधियों ने भारत को विश्व गुरु बनने की कामना की और पूरे विश्व में शांति, सद्भाव, और भाईचारे का प्रसार हो, इस दिशा में मिलकर कार्य करने का आह्वान किया।
इस समारोह का उद्देश्य सभी धर्मों के प्रति समान दृष्टिकोण को बढ़ावा देना और समाज में शांति एवं सौहार्द्र का प्रसार करना था।