‘‘तेरा भाणा मीठा लागे’’हर दुख-सुख प्रभु का उपहार : नवजीत भारद्वाज
जालंधर 7 अगस्त (ब्यूरो) : मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नज़दीक लमांपिंड चौंक जालंधर में मां बगलामुखी जी के निमित्त सामुहिक निशुल्क दिव्य हवन यज्ञ का आयोजन मदिंर परिसर में किया गया।

सर्व प्रथम ब्राह्मणो द्वारा मुख्य यजमान जानू थापर से विधिवत वैदिक रिती अनुसार पंचोपचार पूजन, षोडशोपचार पूजन ,नवग्रह पूजन उपरांत सपरिवार हवन-यज्ञ में आहुतियां डलवाई गई।
सिद्ध मां बगलामुखी धाम के संस्थापक नवजीत भारद्वाज जी ने दिव्य हवन यज्ञ में उपस्थित प्रभु भक्तों को प्रवचनों का रसपान करवाते हुए कहा कि जिंदगी हमेशा हमारे अनुसार नहीं चलतीं। जिंदगी कई बार कड़वी प्रतीत होती है और बदले में हमें कड़वाहट से भर देती है। क्या कभी हमने जिंदगी के बारे में एक अलग अंदाज से सोचा है।

नवजीत भारद्वाज जी ने कहा कि हमें सभी को यह सोचना चाहिए कि वास्तव में हम कितने भाग्यशाली हैं। आखिरकार हम इंसान हैं। इस धरती पर कितने प्रकार के जीव चलते हैं। यहां पर चौपाये, जमीन पर रेंगने वाले सरीसृप, कीड़े-मकोड़े आदि रहते हैं। कई प्रकार के जीव हवा में और पानी में भी रहते हैं। हम सौभाग्यशाली हैं कि हम इंसान के जैसे पैदा हुए हैं। हममें से कितनों ने कभी अपने जीवन के लिए प्रभु का धन्यवाद किया है। जब चीजें गलत हो जाती हैं तो हम प्रभु से शिकायत करते हैं पर उन सैकड़ों वस्तुओं के बारे में क्या, जो प्रभु ने हमें दीं हैं। प्रभु ने हमें पर्याप्त भोजन दिलाया जिससे हम अभी तक जी सके। हमें कपड़ों और मकान के द्वारा गर्मी, सर्दी, बरसात आदि से बचाकर रखा गया। हममें से अधिकतर का एक परिवार है जहां से हमें प्रेम मिलता है। अगर हम उन सब चीजों की ओर ध्यान दें जो प्रभु ने उपहार के रूप में हमें दीं हैं तब हम प्रभु-इच्छा के अंतर्गत अच्छाई और कठिनाई दोनों को समान रूप से स्वीकार कर सकते हैं।
नवजीत भारद्वाज जी ने एक प्रेरक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि गजनी का बादशाह महमूद एक दिन अपने सबसे वफादार नौकर अयाज के साथ बैठा अपना खीरा उसके साथ बांट रहा था। अयाज ने धन्यवाद किया और राजा का दिया आधा खीरा खा लिया। वह खा चुका तो राजा ने अपने हिस्से का खीरा चखा और चिल्लाया, यह तो बहुत कड़वा है। तुमने खीरा कैसे खाया। अयाज ने उत्तर दिया, ‘‘जहांपनाह, मैंने आपसे अनेक आशीर्वाद और उपहार पाए हैं। आप जो कुछ भी मुझे दोगे, वह मीठा ही है।’’
अयाज का दृष्टिकोण प्रभु के सच्चे भक्त की मानसिक स्थिति दर्शाता है। ऐसा प्रेमी प्रभु में इतना लीन और प्रभु का इतना कृतज्ञ होता है कि वह हर चीज को प्रभु का उपहार मानता है। अयाज ने बादशाह से इतने आशीर्वाद पाए थे कि उसने समझा अगर इनमें से एक उपहार कड़वा है तो शिकायत करना उचित नहीं होगा।
नवजीत भारद्वाज जी प्रवचनों के अंत में मां भक्तों को समझाया कि अगर हम कठिनाई के दिनों को उतनी ही कृतज्ञता से स्वीकार कर सकें, जैसे हम खुशी के दिनों को करते हैं, तो हम पाएंगे कि हमारी जिंदगी प्रेम, शांति और खुशी से भर जाएगी। दर्द और निराशा की शिकायत करने से दर्द और निराशा खत्म नहीं होगी। हमेशा ही प्रभु से कहना चाहिए कि *तेरा भाणा मीठा लागे।*
इस अवसर पर विशु सभरवाल प्रथम ग्रेवाल,राकेश प्रभाकर,पूनम प्रभाकर ,सरोज बाला, समीर कपूर, विक्की अग्रवाल, अमरेंद्र कुमार शर्मा, अमृतपाल, प्रदीप , दिनेश सेठ,सौरभ भाटिया,विवेक अग्रवाल,दिनेश चौधरी,नरेश,कोमल,वेद प्रकाश, मुनीष मैहरा, जगदीश डोगरा, ऋषभ कालिया,रिंकू सैनी, कमलजीत,बावा खन्ना, धर्मपालसिंह, अमरजीत ,अजीत कुमार , नरेंद्र ,रोहित भाटिया,बावा जोशी,राकेश शर्मा, अमरेंद्र सिंह, विनोद खन्ना, नवीन , प्रदीप, सुधीर, सुमीत ,जोगिंदर सिंह, मनीष शर्मा, डॉ गुप्ता,सुक्खा अमनदीप , अवतार सैनी, परमजीत सिंह, दानिश, रितु, कुमार,गौरी केतन शर्मा,सौरभ ,शंकर, संदीप,रिंकू,प्रदीप वर्मा, गोरव गोयल, मनी ,नरेश,अजय शर्मा,दीपक , किशोर,प्रदीप , प्रवीण,राजू, गुलशन शर्मा,संजीव शर्मा, रोहित भाटिया,मुकेश, रजेश महाजन ,अमनदीप शर्मा, गुरप्रीत सिंह, विरेंद्र सिंह, अमन शर्मा, ऐडवोकेट शर्मा,वरुण, नितिश,रोमी, भोला शर्मा,दीलीप, लवली, लक्की, मोहित , विशाल , अश्विनी शर्मा , रवि भल्ला, भोला शर्मा, जगदीश, नवीन कुमार, निर्मल,अनिल,सागर,दीपक,दीपक कुमार, नरेंद्र, सौरभ,दीपक कुमार, नरेश,दिक्षित, अनिल, कमल नैयर, अजय,बलदेव सिंह सहित भारी संख्या में भक्तजन मौजूद थे।


