आम आदमी सरकार से धोखा करे तो “चोर” पर अगर सरकार जनता से धोखा करें तो उसे क्या नाम दें : विवेक खन्ना

जालन्धर 20 जनवरी (ब्यूरो) : भाजपा नेता विवेक खन्ना ने कहा कि चेयरमैन ट्रस्ट संघेड़ा के 13 जनवरी को लिखे पत्र पर संज्ञान लेकर पुलिस कमिश्नर द्वारा दिनेश धीर सहित 11 अन्य पर 7 दिन में ही थाना नई बारादरी में एफ आई आर नंबर पांच दर्ज कर ली। जिसमें उपरोक्त लोगों के खिलाफ धारा 420 एवं 120b लगाई गई।


पार्षद पति विवेक खन्ना ने कहा चेयरमैन ने लिखा कि ट्रस्ट के संज्ञान में आया कि दिनेश धीर ने वर्ष 2006 से 2013 तक अलग-अलग समय पर ट्रस्ट की जमीन बिना खसरा नंबर डालें 10 रजिस्ट्रीयां अपने व परिवार के नाम पर करवा लीं। जिस पर पुलिस ने एफ आई आर भी दर्ज कर दी। *अब प्रश्न यह उठता है कि जिन्होंने रजिस्ट्रीयां करवाई उन पर तो एफ आई आर दर्ज हो गई पर जिन्होंने तब रजिस्ट्रीयां की उन पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई*।

खन्ना ने कहा कि नगर सुधार ट्रस्ट खुद जनता से अनेकों मामलों में धोखा कर चुका है, उस पर संज्ञान कौन लेगा। *नगर सुधार ट्रस्ट द्वारा पंजाब नेशनल बैंक के साथ मिलकर कई लोगों से धोखा किया गया* जो जगह ट्रस्ट ने बैंक के पास गिरवी रखी थी उन्हें खुली बोली के तहत 2014, 2016 और फिर 2019 में बेचा गया। *तब ना तो बैंक का कोई अधिकारी बोला और ना ही बोली धारकों से किश्ते व एकमुश्त रकम लेने वाला नगर सुधार ट्रस्ट*।  क्योंकि यह सब इन दोनों की मिलीभगत से ही हो रहा था नहीं तो बैंक बोली होने के समय मोके पर पहुंचकर कोई कार्रवाई करता। पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
खन्ना ने कहा यहां पर ही बस नहीं हुई पंजाब नेशनल बैंक द्वारा ट्रस्ट के लोन ना चुकाने की एवज में गिरवी जायादादों  को बेचने के लिए लुधियाना की एक निजी एजेंसी *गेट्स* के साथ करार कर लिया गया। एजेंसी द्वारा अखबारों व अन्य मीडिया चैनलों पर विज्ञापन व गिरवी जायदादों के  नक्शे दर्शाए गए और दो बार बोली की तारीख भी  प्रकाशित कर दी गई।
खन्ना ने चेयरमैन सघेड़ा से विनम्र प्रार्थना करते हुए कहा, कि चेयरमैन अब एक और पत्र कमिश्नर साहब को लिखें कि जिन पंजाब नेशनल बैंक अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर नगर सुधार ट्रस्ट के अधिकारियों  ने उन बोली धारको के साथ धोखा किया *उन पर भी 420 एवं 120 b के पर्चे दर्ज करवाए जाएं* और साथ ही सफल बोली धारकों द्वारा ट्रस्ट में जमा लगभग 80 लाख की रकम पर *बोली के समय से लेकर आज तक* 12% सालाना ब्याज लगभग 58 लाख जो कि ट्रस्ट खा चुका है, का भुगतान किया जाए।।

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