गुरु  और शिष्य के बीच आत्मीयता और प्रेम हो वही है शिक्षा : नवजीत भारद्वाज

जालंधर 6 जुलाई (ब्यूरो) : मां बगलामुखी धाम नजदीक लम्मां पिंड चौंक होशियारपुर रोड़ पर स्थित गुलमोहर सिटी में धाम के संस्थापक एवं संचालक नवजीत भारद्वाज की अध्यक्षता में साप्ताहिक मां बगलामुखी दिव्य हवन यज्ञ एवं गुरु पूर्णिमा पर्व पर बड़ी श्रद्धापूर्वक मनाया गया। इस कार्यक्रम में उपस्थित हुए भक्तो पर गुरु की बरसी आपार कृपा। सबसे पहले ब्राह्मणों ने नवग्रह, पंचोपचार, षोढषोपचार, गौरी, गणेश, कुंभ पूजन, मां बगलामुखी जी के निमति माला जाप कर आज की मुख्य यजमान श्वेता भारद्वाज से सपरिवार से पूजा अर्चना उपरांत हवन यज्ञ में आहुतियां डलवाईं ।

इस यज्ञ में उपस्थित मां भक्तो को आहुतिया डलवाने के बाद नवजीत भारद्वाज ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षा जीवन निर्माण की आधारशिला है। शिक्षा वही कहलाती है जिसमें गुरु और शिष्य के बीच आत्मीयता और प्रेम हो। वही शिक्षा संस्कार की और बढ सकती है जिसके अंदर आत्मीयता और संवाद पद्धति हो। उन्होंने कहा कि वर्तमान की शिक्षा अब एक नई दिशा की ओर जा रही है जो ऑनलाइन होती चली जा रही हैं, जिसमें गुरु और शिष्य के बीच की आत्मीयता का संबंध पूरा समाप्त हो रहा है।

उसके परिणामस्वरूप बुद्धि विकास तो हो भी सकता है, लेकिन संस्कार का होना, मातृ सम्मान होना, मानवता का निर्माण होना, परस्पर में रिश्तों की पवित्रता का होना यह सब चीजें यदि शिक्षा से छूट जाती है तो वह केवल ज्ञान रह जाता है। वह अध्ययन सिर्फ हमारी संवेदनाओं से शून्य हो जाता हैं और संवेदना शून्य हुआ अध्ययन आत्मीयता और मानवता के निर्माण में कभी भी सहयोगी नही बन सकता है। शिक्षा का दीपक ऐसा होता है जो इस लोक और परलोक में प्रकाश पैदा करता है, शिक्षा के लिए शिक्षा का एक दीपक जलना चाहिए और शिक्षा का दीपक ऐसा होता है जो इस लोक और परलोक में प्रकाश पैदा करता है। इसलिए जिसमे प्राणियों का उपकार हो वही शिक्षा श्रेष्ठ शिक्षा मानी जाती है। उन्होंने कहा कि मानव मानव के प्रति प्यार उत्पन्न कर सके वही शिक्षा शिक्षा होती है। वर्तमान में जो शिक्षा की एक नई शिक्षा पद्धति सामने आ रही है उस शिक्षा की पद्धति से आशा की किरण अवश्य है और आशा की किरण उससे यह है कि हम उस शिक्षा से यह प्राप्त कर सकते है कि मातृ भाषा का संवाद पद्धति और साथ में संवेदनाओं का निर्माण होगा। मानव एक दूसरे के प्रति संवेदनशील होगा शोषण का अभाव होगा, अत्याचारों का अभाव होगा, क्रूरता दूर होगी और कलुषताएं समाप्त होगी। इसके साथ-साथ मानवीय गुणों का विकास होगा। इस अवसर पर राकेश प्रभाकर, संजीव सोंधी, श्री कंठ जज,समीर कपूर, अमरेंद्र कुमार शर्मा, प्रदीप, डा. शर्मा,प्रदीप शर्मा, धीरज, मुनीश शर्मा, बलजिंदर सिंह, प्रिंस कुंडल, रोहित भाटिया, बलवंत बाला, मुनीश शर्मा, सुरेंद्र शर्मा, एडवोकेट राज कुमार, मोहित,अशोक शर्मा, दिशांत शर्मा, बावा खन्ना, लवली, अश्विनी शर्मा, संजीव शर्मा, मुकेश चौधरी, अमरेंद्र सिंह, गौरव जोशी,संजीव सांवरिया, यज्ञदत्त,पंकज,करन वर्मा, राजेश महाजन, डा. गुप्ता,मानव शर्मा,राजीव, अशोक शर्मा, प्रदीप, अभिलक्षय चुघ, पंकज, राकेश, ठाकुर बलदेव सिंह, लक्की, सुनील जग्गी,प्रिंस,पंकज, प्रवीण सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। आरती उपरांत प्रसाद रूपी लंगर भंडारे का भी आयोजन किया गया।

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