जालंधर 26 दिसंबर (ब्यूरो) : आतंकवादियों से लड़ते समय 2015 में जालंधर के लेफ्टिनेंट कर्नल कर्णबीर सिंह गोली लगने से घायल हो गए थे। जिसके बाद वह तभी से कोमा में चले गए थे। जिसके बाद 2023 24 दिसंबर को उन्होंने अपनी जिंदगी की जंग हार गए। जालंधर के मिलिट्री अस्पताल में एक भारतीय वीर पिछले 8 साल कोमा में रहने के बाद जिंदगी की जंग हार गए। आज यानी मंगलवार को राम बाग श्मशान घाट में भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल करणबीर सिंह नत्त का सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। परिवार ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी।
बेटी गुरनीत कौर ने पिता लेफ्टिनेंट कर्नल करणबीर सिंह नत्त को मुखाग्नि दी। यहां छोटी बेटी अश्नीत कौर भी मौजूद थी। पूरे परिवार का रो-रो कर बुरा हाल था। मौके पर मौजूद कई आर्मी अफसरों की भी आंखें नम थीं।
इस दौरान भारतीय सेना के कई बड़े अधिकारी भी मौजूद रहे। स्व. लेफ्टिनेंट कर्नल करणबीर सिंह नत्त की बहादुरी की कहानी हमेशा अमर रहेगी। करणबीर सिंह ने अपने साथी को बचाने के लिए दुश्मनों की गोली अपने शरीर पर खाई थी। रविवार को उन्होंने जालंधर कैंट के मिलिट्री हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली थी।
देश के इस बहादुर बेटे के 8 साल कोमा में गुजर रहे एक-एक दिन बड़े संघर्ष के रूप में जाने जाएंगे। मिलिट्री हॉस्पिटल में डॉक्टर उनकी देखभाल कर रहे थे। उनके कमरे में पूरा दिन गुरबाणी की अमृत वर्षा होती थी। उन्हें रोजाना खाने में सूप और जूस दिया जाता था। उन्हें यह तरल खाना देने के लिए फूड पाइप का इस्तेमाल होता था।
घाटी में आतंकवादियों के हमले के दौरान उनके जबड़े पर गोली लग गई थी। बताया जाता है की कलाश्निकोव राइफल की गोली ने उनकी जीभ को पूरी तरह से डैमेज कर दिया था। उनके चेहरे का आधा हिस्सा चला गया था। इसके बाद अगर वह बेड पर लेटे थे तो उनकी जीभ पीछे लटक जाती थी। उनकी शारीरिक चुनौतियों के बीच मिलिट्री हॉस्पिटल कोमा के दौरान उनका इलाज कर रहा।