पंजाब विजीलैंस ब्यूरो द्वारा राज्य में भ्रष्टाचार के विरुद्ध शुरु की मुहिम के दौरान मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर ( एम. वी. आई.) जालंधर नरेश कलेर और एक प्राईवेट एजेंट रामपाल उर्फ राधे को काबू करके उनके पास से वाहनों के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने के शक्की दस्तावेज़ों के इलावा रिश्वत की रकम के तौर पर 12.50 लाख रुपए बरामद किये गए हैं।यह सम्बन्धी और जानकारी देते हुये आज यहाँ राज विजीलैंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि कुछ क्षेत्रीय ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (आर. टी. ए.) दफ्तरों में अनियमितताएं और भ्रष्टाचार सम्बन्धी शिकायतें मिलने के उपरांत ब्यूरो ने आज राज्य में सात जिलों अमृतसर, गुरदासपुर, फ़िरोज़पुर, फरीदकोट, मानसा, जालंधर और होशियारपुर के एम. वी. आई. दफ्तरों की औचक चैकिंग की।उन्होंने बताया कि चैकिंग के दौरान विजीलैंस ब्यूरो की टीमों से तरफ से एम. वी. आई. और सम्बन्धित आर. टी. ए. दफ्तरों से वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने के शक्की रिकार्डों को ज़ब्त किया गया है। उन्होंने आगे बताया कि इससे पहले विजीलैंस ब्यूरो ने आर. टी. ए. दफ्तर संगरूर में वाहन फिटनेस सर्टिफिकेट घोटाले का पर्दाफाश किया था जिसमें दो अधिकारियों और एक एजेंट को गिरफ़्तार किया गया था। इस मामले में आर. टी. ए., एम. वी. आई., क्लर्कों और प्राईवेट एजेंटों के विरुद्ध विजीलैंस ब्यूरो के थाना पटियाला में एफआईआर दर्ज की गई है।प्रवक्ता ने आगे बताया कि एम. वी. आई. दफ्तर, जालंधर में काम करते हुये एक एजेंट को काबू किया गया है। विजीलैंस की तरफ से पूछताछ के दौरान उसके पास से 12.50 लाख रुपए रिश्वत की रकम बरामद की गई। इस सम्बन्धी विजीलैंस ब्यूरो के थाना जालंधर में एफआईआर नंबर 14 तारीख़ 23-08 2022 को आई. पी. सी. की धारा 120 बी और 420 और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धारा 7 और 7 ए के अधीन नरेश कलेर, एम. वी. आई., जालंधर और उसके दफ़्तर से काम कर रहे 10 प्राईवेट एजेंटों के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि इस मामले में एम. वी. आई. कलेर और एजेंट रामपाल उर्फ राधे को भी गिरफ़्तार किया गया है।उन्होंने बताया कि परिवहन विभाग के नियमों अनुसार सभी व्यापारिक वाहनों को सड़कों पर चलने के लिए आरटीए दफ़्तर से फिटनेस सर्टिफिकेट लेना पड़ता है और ऐसे सभी वाहनों का दस्तावेज़ों समेत एम. वी. आई. द्वारा उनके दफ़्तर में ख़ुद निरीक्षण करना ज़रूरी है।उन्होंने आगे बताया कि यह बात सामने आई है कि अलग-अलग जिलों में अधिकारी एजेंटों और मध्यस्थों की मिलीभुगत के साथ वाहनों के माडल के आधार पर प्रति वाहन भारी रिश्वत के बदले वाहनों की फिजिकल वैरीफिकेशन किये बिना फिटनेस सर्टिफिकेट जारी कर रहे हैं। इस तरह कुछ आर. टी. एज और एम. वी. आईज़ की तरफ से ख़ुद निरीक्षण किये बिना सिर्फ़ दस्तावेज़ों के आधार पर ही फिजिकल जांच करके वाहनों को पास किया जा रहा था, जिनको मौके पर निरीक्षण के लिए निर्धारित जगह पर लाना ज़रूरी होता है।उन्होंने बताया कि इन राज्य स्तरीय निरीक्षणों की आगे जांच जारी है और यदि कोई भी दोषी पाया गया तो कानून अनुसार सख़्त कार्यवाही की जायेगी।
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