जालंधर 13 जून (ब्यूरो) : मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नजदीक लम्मा पिंड चौक जालंधर में सप्ताहिक दिव्य श्रृंखलाबद्ध हवन-यज्ञ का आयोजन किया गया।
सर्व प्रथम ब्राह्मणों द्वारा मुख्य यजमान अभिनंदन प्रभाकर एवं उदय सिंह से सपरिवार पंचोपचार पूजन, षोढषोपचार पूजन, नवग्रह पूजन उपरांत हवन यज्ञ में आहुतियां डलवाई गई।
मां बगलामुखी जी के निमित्त श्रृंखलाबद्ध सप्ताहिक दिव्य हवन यज्ञ में पूर्ण आहुति उपरांत सिद्ध मां बगलामुखी धाम के प्रेरक प्रवक्ता नवजीत भारद्वाज जी ने दिव्य हवन यज्ञ के उपरांत आए हुए मां भक्तों को संत मूलक दास का एक प्रसिद्ध प्रसंग सुनाते है कि मलूक दास जी जोकि शुरुआत में बहुत ज्यादा धार्मिक नहीं थे। एक दिन उनके गांव में एक साधु कुछ दिनों के लिए आए। वे गांव वालों को सुबह-शाम रामायण का पाठ सुनाते थे।
एक दिन मलूक दास जी भी पहुंच गए। उस समय साधु गांव वालों को रामजी की महिमा के बारे में बता रहे थे कि, राम जी दुनिया के सबसे बड़े दाता हैं। वह सबका ध्यान रखते हैं।’ इस बात को जांचने के लिए दास मलूका घने जंगल में जाकर एक पेड़ के उपर बैठ गए, शाम को कुछ सिपाही भोजन करने के लिए पेड़ के नीचे आकर बैठे, तभी उन्हें शेर की दहाड़ सुनाई पड़ी और वह डर के मारे भोजन-पानी वहीं छोडक़र भाग गए।
पेड़ के नीचे भोजन पड़ा होने के बाद भी दास मलूका भोजन करने पेड़ से नहीं उतरे, उनके मन की हठ थी, अगर राम जी ध्यान रखते हैं, तो वे स्वयं खिलाऐंगे। कुछ देर बाद कुछ डाकू उधर से गुजरे और भोजन देखकर बड़े खुश हुए। वह भोजन ग्रहण करने वाले थे, तभी उनके मन में विचार आया कि कहीं भोजन में जहर तो नहीं है। इसलिए उन्होंने आसपास खोजना प्रारम्भ किया और पेड़ पर छुपे हुए दास मलूका को देख लिया। बस फिर क्या था, डाकुओं ने दास मलूका को पकडक़र सबसे पहले उसे जबरदस्ती भोजन कराया और उसके बाद स्वयं भोजन किया। इस घटना के बाद दास मलूक को ईश्वर के प्रति गहरी श्रद्धा हो गई और गांव पहुंचकर उन्होंने सबको यह घटना बताई। तभी से संत मलूक दास जी कहते हैं, *‘‘अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम, दास मलूक कह गए, सबके दाता राम।’’*
नवजीत भारद्वाज जी कहते है कि इसका यह मतलब नहीं है कि मनुष्य को आलसी होना चाहिए और कुछ भी नहीं करना चाहिए, बल्कि यह सीख मिलती है कि मनुष्य को आवश्यकता से अधिक चिंता और लालच में नहीं पडऩा चाहिए। इस अद्भुत सृष्टि के रचनाकार, उस विलक्षण *परमात्मा की व्यवस्था समझ पाना हम इंसानों के लिये कठिन ही नहीं दु:साध्य ही है*, तभी तो उसने जितने जीव बनाए हैं, उन सभी के पेट भरने की व्यवस्था भी की है, इसीलिये तो कहते हैं कि जिसने भूख दी है वो रोटी भी देगा। यदि पेट भरने की ऐसी व्यवस्था न होती तो दुनिया का सबसे बड़ा आलसी अजगर अपना पेट कैसे भरता। अजगर को अपना पेट भरने के लिये ईश्वर ने उसे, नेत्र- सम्मोहन की ऐसी चमत्कारी विद्या दे रखी है जिसके बल पर एक जगह पड़ा-पड़ा ही अपना पेट भर लेता है।
इस अवसर पर पूनम प्रभाकर,सरोज बाला, रुपम प्रभाकर,सुनीता, अंजू, गुरवीर, मंजू, प्रिया , रजनी, नरेश,कोमल , कमलजीत, धर्मपालसिंह, अमरजीत सिंह, राकेश प्रभाकर, समीर कपूर, अमरेंद्र कुमार शर्मा, नवदीप, उदय ,अजीत कुमार , बावा खन्ना, विनोद खन्ना, नवीन जी, जोगिंदर सिंह, मनीष शर्मा, सुक्खा अमनदीप , अवतार सैनी, गौरी केतन शर्मा,सौरभ , रोहित भाटिया,अजय शर्मा,दीपक , प्रदीप , प्रवीण,राजू, अमनदीप शर्मा, गुरप्रीत सिंह, विरेंद्र सिंह, अमन शर्मा, वरुण, दीलीप, लवली, लक्की, रोहित, रिंकू सैनी,विशाल , अश्विनी शर्मा , रवि भल्ला, भोला शर्मा, जगदीश, सुनील जग्गी, दीपक, अशोक कुमार,प्रिंस कुमार, पप्पू ठाकुर, बलदेव सिंह भारी संख्या में भक्तजन मौजूद थे।
हवन-यज्ञ उपरांत विशाल लंगर भंडारे का आयोजन किया गया।