गांव उच्चा में करोड़ों रुपए के गबन की सचाई आई सामने

जालंधर (गौरव बस्सी) – जालंधर के गांव उच्चा में करोड़ों रुपए के गबन को लेकर हमने कई खबरें प्रकाशित की थी।इन ख़बरों के प्रकाशित होने के बाद सरकार और प्रशासन हरकत में आ गया है।विश्वनीय सूत्र ने जानकारी देते बताया है की सहकारी बैंक ऐआर,जेआर व डीआर ब्रांच के अधिकारियों द्वारा इस गबन को लेकर एक्शन लेने की त्यारी की जा रही है।सूत्र के अनुसार पुलिस विभाग भी अब करोड़ो रुपए के गबन करने वालो के मास्टरमाइंड के खिलाफ कार्यवाही करने जा रही है। बता दे इन बैंक के ब्रांचों के अधिकारी प्रशासनिक अधिकारियों से मीटिंग करने जा रहे है।वही गांव उच्चा की कॉपरेटिव सोसाइटी और गांव वालों को जल्द इंसाफ मिलने की उम्मीद दिखने लगी है।सूत्रों के अनुसार प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मीटिंग के बाद सहकारी बैंक की ऑडिट ब्रांच के इंस्पेक्टर की गिरफ्तारी के ऑर्डर पुलिस विभाग को कभी भी हो सकते है।

सहकारी बैंक की ऑडिट ब्रांच इंस्पेक्टरों के खिलाफ ऐआर ब्रांच के इंस्पेक्टर ने रिपोर्ट बनाकर इस गबन को उजागर किया था।हैरानी वाली बात यह है इस गबन मैं 3 लोगों की गिरफ्तारी हो पाई थी,पुलिस ने गांव की कॉपरेटिव सोसाइटी के सेक्रेटरी सतपाल,सेल्समैन राजकुमार,ऑडिट इंस्पेक्टर सुरेश कुमार को गिरफ्तार किया था लेकिन मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी पुलिस नहीं कर पाई थी।क्योंकि कानून के रखवाले और न्याय दिलाने वाले उसके सरपरस्त बन बैठे थे।

2 साल बीत जाने के बाद भी पुलिस ने उस मास्टरमाइंड नागेश कुमार की गिरफ्तारी नहीं की। हमारी टीम द्वारा इस गबन को लेकर जब खबरें प्रकाशित की गई तो सरकार और प्रशासन भी हरकत में आया और अब इस मास्टरमाइंड ऑडिट इंस्पेक्टर के खिलाफ एक्शन लेने की तैयारी कर रहे हैं। पुलिस की चार्जशीट में साफ तौर पर बयानों में लिखा है की गांव की कोऑपरेटिव सोसायटी के सेल्समैन राजकुमार और सेक्रेटरी सतपाल से नागेश कुमार ने हर साल लाखों रुपए लिए थे। कितने ही लाखों रुपए इकट्ठा कर करोड़ों रुपए का गबन करने वाले इस मास्टरमाइंड इंस्पेक्टर ने गांव की कई और सोसायटीओं में भी लाखों करोड़ों रुपए के गबन किए हैं।

कैसे किए मृतक लोगों के नामों पर लोन और कैसे बनाई नकली एफडी

सहकारी बैंक की ब्रांचों के विश्वनीय सूत्र बताते है की गांव उच्चा की कोऑपरेटिव सोसायटी ऑन फंड सोसाइटी है जिसका बैंक में लोन करने या एफडी करने को लेकर बैंक इसका जवाब दे नही होता। हर साल गांव की कोऑपरेटिव सोसायटी पंजाब सरकार को सरकारी फीस देकर सहकारी बैंक कि ऑडिट ब्रांच के इंस्पेक्टरों को सोसाइटी में आकर उसका अकाउंट मेंटेन कर नुकसान या फायदा बताने के लिए 15 हजार देती है। सहकारी बैंक कि ऑडिट ब्रांच के इंस्पेक्टर साल में एक बार ऑडिट करते हैं और जर्नल इंस्पेक्टर भी रिपोर्ट बनाकर नुकसान या फायदे के बारे में सोसाइटी को बताते है। इस मास्टरमाइंड नागेश ने अपने ही डिपार्टमेंट के एक इंस्पेक्टर को साथ लेकर गांव की कोऑपरेटिव सोसायटी के सेल्समैन और सेक्रेटरी को साथ मिलाकर मृतक लोगों के नाम पर लाखों रुपए और नकली एफबी बनाकर लाखों से करोड़ों रुपए डकार लिए। यह सभी गांव की ओन फंड सोसायटी के रुपयों से मृतक लोगों का लोन और एफडी बनाकर खुद रुपए डकार लेते थे और इल्जाम सैकेटरी और सेल्समैन पर लगा देते थे।
2005 से मास्टरमाइंड नागेश कुमार सेल्समैन और सेक्रेटरी से हर साल लाखों रुपए लेकर गांव की सोसाइटी और गांव वालों को चुना लगा रहा था और करोड़ों रुपए डकार रहा था। लेकिन ए आर ब्रांच के जनरल इंस्पेक्टर कमल ने इस मास्टरमाइंड के खेल को नेस्तनाबूद करते हुए इसका भंडाफोड़ किया और रिपोर्ट बनाकर एयर को भेजी जिसके बाद एयर ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवा इन सभी पर मामला दर्ज करवा दिया।
अब देखना यह है कि प्रशासनिक अधिकारी व पुलिस अधिकारी इस मास्टरमाइंड के खिलाफ क्या कार्रवाई करते हैं और कब करते हैं यह अब चर्चा का विषय है।

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